देश में बजरंगबली के अनेक मंदिर हैं, लेकिन चित्रकूट में एक ऐसा मंदिर है, जो किसी चमत्कार से कम नहीं. इसे बरहा हनुमान मंदिर के नाम से जाना जाता है. मान्यता है कि यहां बजरंगबली के दर्शन मात्र से ही भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. यह मंदिर श्रद्धा का प्रतीक है. भक्त कामदगिरि की परिक्रमा करते समय इस मंदिर में पूजा जरूर करते हैं. बरहा हनुमान मंदिर चित्रकूट की कामतानाथ परिक्रमा मार्ग पर है. इसी जगह पर भगवान राम अपने वनवास के दौरान 11 वर्ष 6 माह तक माता सीता और लक्ष्मण के साथ रहे थे. मंदिर के ठीक बगल में वही पहाड़ी है, जिसे प्रभु राम के वनवास काल का साक्षी माना जाता है. इसी पहाड़ी पर भगवान राम रुके थे.
खुद प्रकट हुई प्रतिमा

इस मंदिर के मुख्य पुजारी अमित तिवारी बताते हैं कि कामतानाथ परिक्रमा मार्ग में कुल चार पवित्र द्वार हैं. यह मंदिर तीसरे द्वार पर है. यही कारण है कि यह स्थान धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्त्वपूर्ण माना जाता है. पुजारी अमित तिवारी के अनुसार, बरहा हनुमान की यह प्रतिमा स्वयंभू है. यह मूर्ति यहां स्वतः प्रकट हुई थी, जो अत्यंत प्रभावशाली और चमत्कारी मानी जाती है. श्रद्धालुओं का विश्वास है कि यहां जो भी सच्चे मन से आता है और बजरंगबली से प्रार्थना करता है, उसकी हर मनोकामना जरूर पूरी होती है.

इस दिन उमड़ता हुजूम

बरहा हनुमान मंदिर में सप्ताह के सभी दिन भक्तों की भीड़ रहती है, लेकिन मंगलवार और शनिवार को यहां हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का पाठ बड़े आयोजन के साथ होता है. इन आयोजनों के दौरान वातावरण पूरी तरह भक्तिमय हो जाता है. भक्त परिक्रमा मार्ग पर पदयात्रा करते हुए हनुमान जी का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. कई श्रद्धालु यहां नियमित रूप से 108 बार हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं.