नई दिल्ली। सर्जरी कराने के नाम पर बार-बार जमानत बढ़ाने की मांग करने वाले आरोपित शैलेंदर कुमार उर्फ सोनू को दिल्ली हाई कोर्ट ने राहत देने से इन्कार कर दिया।

अदालत ने कहा कि आरोपित ने दो जून को कान की सर्जरी कराने के नाम पर जमानत बढ़वाई थी, जबकि रिकार्ड पर पेश किए गए दस्तावेज से स्पष्ट है कि उक्त तारीख पर कोई सर्जरी नहीं हुई। ऐसे में आगामी 24 जून को सर्जरी के लिए जमानत बढ़ाने का कोई आधार नहीं है और याचिका खारिज की जाती है।

न्यायमूर्ति तेजस कारिया की पीठ ने कहा कि नौ जून को दाखिल की गई स्थिति रिपोर्ट से स्पष्ट है कि आरोपित ने झूठी व फर्जी चिकित्सा रिकार्ड के सहारे अदालत को गुमराह करने का काम किया है। इसके साथ ही अदालत ने आरोपित को 13 जून तक आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया।

आरोपित के विरुद्ध पश्चिम विहार थाने में हत्या, दुष्कर्म, लूट समेत अन्य धारा में वर्ष 2019 में मामला दर्ज हुआ था। संबंधित मामले में गिरफ्तार किए गए आरोपित शैलेंदर को अदालत ने 23 मार्च को चिकित्सा आधार पर अंतरिम जमानत दी थी और इसके बाद समय-समय पर दी गई अंतरिम जमानत को बढ़ाया गया। आरोपित की अंतरिम जमानत पूर्व में नौ अप्रैल, 15 अप्रैल, 17 अप्रैल और 28 अप्रैल को बढ़ाई गई थी। आरोपित अब कान की सर्जरी के लिए दस दिन के लिए अंतरिम जमानत बढ़ाने की मांग को लेकर अर्जी दायर की।

वहीं, मामले पर सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने अदालत को सूचित किया कि आरोपित का इलाज करने वाले डाक्टर 15 जून तक अवकाश पर हैं और इस बीच सर्जरी नहीं हो सकती है। यह भी सूचित किया कि सत्यापन पर पता चला है कि 24 जून को दी गई तारीख भी सर्जरी की नहीं है। यह भी कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा दाखिल किए गए चिकित्सा रिकार्ड फर्जी हैं।

अभियोजन पक्ष ने यह भी बताया कि संबंधित ईएनटी विभाग से मिली जानकारी के अनुसार आरोपित को कान की सर्जरी की कोई योजना नहीं है और उसे सिर्फ भविष्य में सर्जरी के संबंध में सुझाव नहीं दिया गया था। अभियोजन पक्ष ने यह भी कहा कि सर्जरी की छह से नौ महीने की वेटिंग है और दो जून को आरोपित की काेई सर्जरी नहीं हुई थी।

वहीं, याचिकाकर्ता आरोपित ने कहा कि उसके द्वारा दाखिल किए गए चिकित्सा दस्तावेज सही हैं। दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने आरोपित को राहत देने से इन्कार करते हुए याचिका खारिज कर दी।