नई दिल्ली। जगदीप धनखड़ को उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दिए करीब एक सप्ताह होने को है। इसके बाद भी इस्तीफा क्यों हुआ इसको लेकर अटकलों का दौर शुरु हो गया। मतलब जितने मुंह उतनी बातें शुरु हो गईं। कभी कहा गया कि धनखड़ की सरकार से अपेक्षाएं कुछ ज्यादा ही बढ़ गई थीं वो चाहते थे कि सभी सरकारी दफ्तरों में राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के साथ उनकी भी तस्वीर लगाई जाए। अब कहा जा रहा है कि संसद टीवी में एक अफसर की नियुक्ति को लेकर भी विवाद खड़ा हुआ था। ऐसे कई कारण है जो इस्तीफे की असल वजह बताए जा रहे हैं।
दावा किया जा रहा है कि जगदीप धनखड़ ने अप्रैल में संसद टीवी के सचिव और इंचार्ज के रूप में एक अधिकारी की नियुक्ति करने के लिए अपने अधिकारों से परे जाकर काम किया। क्या वही नियुक्ति की कोशिश असल में उपराष्ट्रपति के इस्तीफे का कारण बना? जी हां, सरकारी टॉप सूत्रों ने इसे ‘तख्तापलट जैसी स्थिति’ कहा। अप्रैल में जगदीप धनखड़ ने एक ऐसी नियुक्ति की कोशिश की, जिसे केवल कैबिनेट की नियुक्ति समिति (एसीसी) ही कर सकती है। यह कोशिश तब हुई, जब पीएम विदेश में थे और उनकी नियुक्ति रोकने के लिए सरकार के टॉप अफसरों को दखल देना पड़ा।
सूत्र के मुताबिक, जगदीप धनखड़ चाहते थे कि अप्रैल में तत्कालीन सचिव रजीत पुहनानी को कौशल विकास सचिव बनाए जाने के बाद एक जूनियर अधिकारी संसद टीवी के सचिव और प्रभारी का कार्यभार संभाले। ये एसीसी के पद हैं और राज्यसभा इन पर अधिकारियों की नियुक्ति नहीं कर सकती। राज्यसभा, लोकसभा, उपराष्ट्रपति और राष्ट्रपति इन पर नियुक्तियां नहीं कर सकते। अधिकारियों का चयन केंद्र सरकार की प्रस्तावित सूची में से किया जाना चाहिए। अधिकारियों का आवंटन एसीसी का काम है और केवल वही नियुक्तियां वैध मानी जाती हैं। जगदीप धनखड़ नियुक्ति वाला आदेश जारी करने वाले थे।
सूत्रों ने आरोप लगाया, ‘प्रधानमंत्री विदेश में थे और टॉप अधिकारियों को इसे रोकने के लिए दखल देना पड़ा। यहां तक कि उस अधिकारी को भी ज्वाइन न करने के लिए कहा गया। उसे बताया गया कि उसकी नियुक्ति अवैध है और कानूनी संकट पैदा होगा। इस नियुक्ति को टालने के लिए कैडर नियंत्रित प्राधिकरणों, पीएमओ और राज्यसभा सचिवालय के बीच कई कॉल किए गए। अधिकारी को यहां तक सुझाव दिया गया कि अगर ज्वाइन करने का दबाव आता है और राज्यसभा सचिवालय आदेश जारी करता है तो वह छुट्टी पर चला जाए। सूत्रों ने आरोप लगाया कि जगदीप धनखड़ ने अपने घर की शिफ्टिंग के दौरान भी बहुत तनाव पैदा किया था। इसके चलते सरकार ने उनकी शिकायत पर तत्कालीन शहरी विकास सचिव को बदल दिया था।