नई दिल्ली: दिल्ली सरकार की कैबिनेट ने वायु प्रदूषण से निपटने के लिए क्लाउड सीडिंग ट्रायल (कृत्रिम बारिश) को मंजूरी दे दी है. बुधवार शाम को मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए एक बड़ा कदम उठाया गया. सरकार ने 'दिल्ली-एनसीआर के लिए क्लाउड-सीडिंग का तकनीकी परीक्षण और मूल्यांकन' प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. इस परियोजना का उद्देश्य राजधानी में बढ़ते वायु प्रदूषण और कम बारिश से प्रभावी ढंग से निपटना है.

3.21 करोड़ की लागत का प्रोजेक्ट

दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने बताया कि 'हर क्लाउड-सीडिंग ट्रायल की लागत लगभग 55 लाख रुपये होगी. पांच ट्रायल्स के लिए कुल अनुमानित खर्च 2.75 करोड़ है. इसके अलावा, एक बार की व्यवस्था जैसे एयरक्राफ्ट की कैलिब्रेशन, कैमिकल स्टोरेज और लॉजिस्टिक के लिए 66 लाख का खर्च तय किया गया है. इस तरह प्रोजेक्ट की कुल लागत 3.21 करोड़ होगी.

 

इस प्रोजेक्ट को आईआईटी कानपुर के दिशा निर्देश में संचालित किया जाएगा, जो पूरे प्रोजेक्ट की योजना, एयरक्राफ्ट की तैनाती, कैमिकल के छिड़काव, वैज्ञानिक मॉडलिंग और ट्रायल्स की निगरानी करेगा. दिल्ली सरकार इस ट्रायल के लिए आईआईटी कानपुर को फंड जारी करेगी.

पहला ट्रायल मई के आखिर महीने हो सकती है
पहली ट्रायल मई के अंत या जून 2025 में हो सकती है, जो लगभग 100 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में, मुख्यतः दिल्ली के बाहरी इलाकों में की जाएगी. इस चरण में कुल पांच ट्रायल्स प्रस्तावित हैं. ट्रायल के बाद वैज्ञानिक रूप से इसका मूल्यांकन किया जाएगा कि क्लाउड-सीडिंग वायु गुणवत्ता और वर्षा पर कितना प्रभाव डालती है.

कैबिनेट में इस योजना को लेकर दी मंजूरी

  • दिल्ली कैबिनेट ने दिल्ली एनसीआर में पांच क्लाउड-सीडिंग ट्रायल्स के लिए 3.21 करोड़ के प्रोजेक्ट को दी मंजूरी.
  • आईआईटी कानपुर को प्रोजेक्ट का कार्यान्वयन और मूल्यांकन के लिए नियुक्त किया गया.
  • सभी आवश्यक अनुमति मिलने के बाद पहली ट्रायल गर्मियों में दिल्ली के बाहरी इलाकों में की जाएगी.
  • कुल 13 विभागों और एजेंसियों से अनुमति लेना अनिवार्य होगा.

13 विभागों से लेनी होगी अनुमति
मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने बताया कि प्रोजेक्ट के संचालन से पहले सरकार को 13 अहम विभागों और एजेंसियों से अनापत्ति प्रमाणपत्र (NOC) लेने होंगे. इनमें डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन, रक्षा मंत्रालय, गृह मंत्रालय, पर्यावरण मंत्रालय, एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया और अन्य विभाग शामिल हैं. सिरसा ने कहा, “यह प्रस्ताव माननीय मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की अध्यक्षता वाली कैबिनेट में पास हो चुका है. हम जल्द से जल्द ट्रायल शुरू करना चाहते हैं ताकि प्रदूषण के गंभीर समय में क्लाउड-सीडिंग एक विकल्प बन सके. यह योजना हमारे अन्य प्रयासों जैसे एआई-आधारित मॉनिटरिंग और 24x7 निगरानी को भी सशक्त करेगी.

उन्होंने आगे कहा, टेक्नोलॉजी को प्रदूषण के खिलाफ हमारी लड़ाई में सबसे आगे होना चाहिए. रेखा गुप्ता की सरकार, दिल्ली के लोगों को स्वच्छ हवा देने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है, और यह परियोजना इस दिशा में एक दूरदर्शी, वैज्ञानिक और साहसिक पहल है. "क्लाउड-सीडिंग एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है, जिसमें सिल्वर आयोडाइड जैसे तत्वों को बादलों में डाला जाता है ताकि बारिश की संभावना बढ़ाई जा सके. दिल्ली जैसे शहरों में इसे प्रदूषण कम करने और बारिश की कमी दूर करने के लिए एक संभावित उपाय के रूप में देखा जा रहा है.