पचमढ़ी में काबरा का अवैध नव निर्माण जारी
पचमढ़ी, जो मध्य प्रदेश का एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल और जैविक धरोहर है, वहाँ अवैध निर्माणों का गोरखधंधा दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। जबकि माननीय न्यायालय ने 2002 के बाद यहाँ किसी भी नवनिर्माण पर कड़े प्रतिबंध लगाए हैं, रसूखदारों और केंद्रीय अधिकारियों की मिलीभगत से इन नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है। पचमढ़ी के वार्ड नंबर 2, भट्टा मोहल्ला में काबरा की तीसरी बिल्डिंग और बहु-मंजिला निर्माण कार्य भी बिना किसी रोक-टोक के जारी हैं, जबकि न्यायालय ने स्पष्ट आदेश दिया था कि 2002 के बाद इस क्षेत्र में कोई भी निर्माण नहीं हो सकता।
इससे भी खतरनाक बात यह है कि छावनी परिषद के सीईओ ने हाल ही में गरीबों की झोपड़ी पर जेसीबी चलवाकर उन्हें उजाड़ दिया था, लेकिन जब बात अवैध निर्माणों की आती है तो वह चुप्प हैं। यह स्पष्ट दिखाता है कि ताकतवर अधिकारी और रसूखदार लोग कानून और अदालत के आदेशों से ऊपर हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि इनकी प्रभावी स्थिति इन नियमों के उल्लंघन को जायज ठहराती है।
पचमढ़ी, जो एक पर्यावरणीय रूप से संवेदनशील क्षेत्र है, वहाँ के निर्माणों को नियंत्रित करने के लिए कई पर्यावरणीय और निर्माण संबंधी नियम हैं। पचमढ़ी को "गिरावट क्षेत्र" (Ecologically Sensitive Zone) घोषित किया गया है, और यहाँ पर्यावरण की सुरक्षा के लिए कड़े नियम बनाए गए हैं। इसके तहत इस क्षेत्र में कोई भी निर्माण तभी संभव है जब पर्यावरणीय मंजूरी ली जाए। यहाँ जलवायु, वनस्पति, जीव-जंतु और जैव विविधता को नुकसान पहुंचाने वाले निर्माणों पर सख्त प्रतिबंध हैं। इसके अलावा, पचमढ़ी में ऊँची इमारतों का निर्माण भी पर्यावरणीय कारणों से प्रतिबंधित है, ताकि प्राकृतिक सौंदर्य और जैव विविधता का संरक्षण किया जा सके।
केंद्र और राज्य सरकार की लापरवाही, प्रशासन की कमजोर निगरानी और न्यायपालिका की निष्क्रियता ने पचमढ़ी के ऐतिहासिक और पर्यावरणीय धरोहर को खतरे में डाल दिया है। अब समय आ गया है कि सरकार और प्रशासन अवैध निर्माणों के खिलाफ कठोर कदम उठाए और पचमढ़ी को पर्यावरणीय और सांस्कृतिक धरोहर के रूप में संरक्षित करने के लिए प्रभावी कदम उठाए।