क्या होता है GTT ऑर्डर
सोचिए अगर कोई ऐसा तरीका हो जिससे आप एक बार कीमत तय कर दें और फिर जैसे ही वो शेयर उस कीमत को छुए आपका ऑर्डर अपने आप लग जाए, वो भी बिना लॉगइन किए, बिना टेंशन के...
हम आज आपको जिस GTT ऑर्डर के फीचर के बारे में बता रहे हैं वह कुछ ऐसा ही है। यह एक स्मार्ट दोस्त की तरह काम करता है। जो आपकी गैरहाजिरी में भी आपके दिए गए टारगेट के हिसाब से ट्रेड करने में मदद करता है।
हम यहां आपको आज GTT क्या है, कैसे काम करता है और इसे इस्तेमाल करके आप ट्रेडिंग को कितना आसान और स्मार्ट बना सकते हैं उसके बारे में बताएंगे।
GTT क्या होता है?
GTT एक ऐसा ऑर्डर होता है जो तब तक एक्टिव रहता है जब तक आपकी तय की गई कीमत हिट नहीं हो जाती है। एक बार ट्रिगर होते ही आपके लिए अपने आप एक लिमिट ऑर्डर एक्सचेंज पर भेज देता है। आपके द्वारा लगाया गया ये ट्रिगर एक साल तक के लिए वैलिड होता है। जब-जब यह GTT ट्रिगर होगा है, आपको मोबाइल पर नोटिफिकेशन मिलेगा।
GTT के दो प्रकार होते हैं
1. एक ट्रिगर सेट
इसमें सिर्फ एक ट्रिगर सेट किया जाता है। जैसे ही शेयर का लास्ट ट्रेडेड प्राइस (LTP) उस ट्रिगर को छूता या पार करता है, आपका ऑर्डर लग जाता है। ये तरीका नई पोजिशन लेने या किसी मौजूदा पोजिशन से बाहर निकलने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
2. OCO Trigger
इसमें आप दो ट्रिगर लगा सकते हैं। एक target price और दूसरा stop loss के लिए। इनमें से जो पहले हिट होगा, उसी के हिसाब से ऑर्डर लगेगा और दूसरा ऑटोमैटिक कैंसिल हो जाएगा।
क्या GTT के लिए कोई चार्ज लगता है?
नहीं! GTT पूरी तरह फ्री है। इसमें कोई एक्स्ट्रा फीस या ब्रोकरेज नहीं लगता। यदि आप अपने शेयर बेचने के लिए GTT लगाते हैं, तो CDSL TPIN से इसे authorize करना होगा।
अगर आपने POA या DDPI दिया हुआ है, तो यह ज़रूरी नहीं है।
कब GTT ऑर्डर फेल हो सकता है?
अगर आपका ऑर्डर ट्रिगर हुआ लेकिन पैसे या शेयर पर्याप्त नहीं थे, तो ऑर्डर नहीं लगेगा और GTT फिर से लगाना पड़ेगा।
शेयर का कैटेगरी या ग्रुप बदल जाए, तो GTT कैंसिल हो जाता है।
Gap up या gap down होने पर भी GTT ट्रिगर हो जाता है।
उदाहरण के तौर पर गुरूवार को शेयर ₹100 बंद हुआ लेकिन शुक्रवार को सीधा 120 रुपये पर खुला।